दिल भी बिखरा टूटे अरमान देखकर ,
कदम भी थम गए राहे सुनसान देखकर ,
गुजरेगी हयात कैसे चंद तिनको के सहारे I
ख्याल आता हैं सामने तूफान देख कर ,
वैसे तो याद आती ही नही उनकी कभी ,
छलक गई आँखे जिंदगी वीरान देखकर ,
भरोसा नही रहा अपने साये पर भी
दर लगता है दरवाजे पर मेहमान देख कर ,
हयात -ए -सफर की आखरी मंजिल है यही
सोचता है दिल "दीप " सामने सैमसन देखकर II